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आम,साधारण,छोटे वरिष्ठ शेयरधारकों की समस्या निदान हेतु

G Binani
Navigating Corporate Governance Challenges: Compliance with MCA and SEBI Regulations on Financial Disclosures and Restructuring The article discusses the challenges and regulations surrounding corporate governance and financial compliance in India, focusing on the roles of the Ministry of Corporate Affairs (MCA) and the Securities and Exchange Board of India (SEBI). It highlights the complexities faced by companies in adhering to these regulations, particularly in relation to financial disclosures and corporate restructuring. The text also addresses the importance of transparency and accountability in corporate practices, emphasizing the need for companies to comply with regulatory frameworks to avoid legal repercussions. The article underscores the significance of maintaining robust corporate governance to ensure sustainable business operations. (AI Summary)
सभी आम, साधारण, छोटे शेयरधारक विशेषकर वरिष्ठ शेयरधारक अपने शेयर डीमेट कराना चाहते हैं लेकिन वे ऐसा चाहकर भी अपनी अपनी समस्याओं के अलावा सरकार द्वारा बुनियादी समस्याओं पर समुचित ध्यान न देने के चलते नहीं कर पा रहे हैं ।
 
हम सरकार से जिन बुनियादी समस्याओं पर राहत / ध्यान दे लेने का आग्रह करते हैं उनमें से निम्न तीन मुख्य समस्याओं को बिना किसी विलंब से उचित समाधान /  हल करने का आग्रह करते हैं -
 
 
1] कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]  के साथ ही भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी )  के वेब में सभी कम्पनियों का नाम होना चाहिए यानि जिस नाम से सबसे पहले कम्पनी सूचीबद्ध हुयी या उसे रकम उगाने की अनुमति मिली, उसी से शुरू हो | फिर उसमेंं हर  प्रकार के बदलाब का  भी पूरा पूरा  उल्लेख हो ताकि निवेशक को बिना ज्यादा दिक्कत के जिस तरह भी ढूंढे उसे सही जानकारी मिल जाय। ऐसी काफी कम्पनियाँ हैं जो शेयर बाजार अर्थात स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होकर असूचीबद्ध  हो गयी जिसके चलते छोटे वरिष्ठ शेयरधारक परेशानी झेल रहे हैं जिसका निवारण  कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]   को करना चाहिये अन्यथा छोटे वरिष्ठ शेयरधारक इस तरह की परेशानियों से ऊबर ही नहीं पायेंगे।
 
2] बहुत से शेयर केवल सी डी एस एल पर ही डीमेट हो सकते हैं।उसी प्रकार कुछ ऐसे भी शेयर होते हैं जो केवल एन एस डी एल पर ही डीमेट हो सकते हैं ।
 
आवश्यक डीमेट के चलते सभी शेयर निवेशकों का  किसी एक डिपाजिटरी में तो खाता होना अनिवार्य है, जो होता भी है। इसलिये छोटे कम मुल्य वाले शेयरों को डीमेट करवाने में अतिरिक्त सालाना खर्चे के चलते डीमेट करवाना बुद्धिमत्ता नहीं ।
 
हालांकि सेबी ने एक बेसिक सर्विसेज डीमेट खाता की सुविधा चालू कर रखी है लेकिन उदाहरण के तौर पर यदि किसी का एन एस डी एल में डीमेट खाता है तब सी डी एस एल में बेसिक सर्विसेज डीमेट खाता खुल नहीं सकता इस कारण से जो शेयर केवल सी डी एस एल पर ही डीमेट हो पायेंगे वहां यह  नियम  छोटे कम मुल्य वाले शेयरों को डीमेट करवाने में बाधक है।
 
इस नियम में भी संशोधन अतिआवश्यक है ताकि एन एस डी एल में डीमेट खाता है तो भी सी डी एस एल में बेसिक सर्विसेज डीमेट खाता खुल जाय। 
3] चूंकि सरकार ने पैन वगैरह लिंक न होने पर शेयरों को आईपीएफ में ट्रान्सफर  की चेतावनी जारी कर रखी है जबकि लाभांश दो साल तक का बकाया रह जाने पर लाभांश के साथ साथ शेयर आईपीएफ में ट्रान्सफर करना चालू कर रखा है। इन दोनों बिन्दुओं पर  जैसा मैंने अपने नीचे वाले आलेख के पहले नंबर में बताया है कि निवेशक चाहते हुये भी लाचार हैं। अतः सरकार से यही निवेदन रहेगा कि सभी निवेशकों से आग्रह कर भौतिक शेयर जमा करा कर उनके बदले में उन्हें  एक म्यूचूअल फंड की  तरह होल्डिंग पत्र जारी कर दे।और होल्डिंग पत्र के अन्त में डीमेट में जमा देने हेतु कॉलम हो जिसे आवश्यकता पड़ने पर [कालान्तर में]  हस्ताक्षर कर डीमेट करवाया जा सके। इस प्रक्रिया से बहुत ज्यादा मात्रा में भौतिक शेयर वापस हो जायेंगे और सभी के पैन वगैरह की सारी जानकारी भी सरकार के पास आ जायेगी । 
 
सरकार जब भी उपरोक्त सभी पर विस्तार से जानना चाहेगी हम उसका उचित जबाब देने को तैयार हैं । 
 
अब मैं आप सभी प्रबुद्ध  पाठकों से आग्रह करता हूँ कि आप सभी भी सक्रियता से उपरोक्त को सरकार तक पहुँचायें ताकि समय रहते उचित राहत मिल जाय । 
 
 
गोवर्धन दास बिन्नाणी 'राजा  बाबू'
IV E 508, जय नारायण व्यास कॉलोनी,
बीकानेर
7976870397 / 9829129011(W)
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