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आम,साधारण,छोटे वरिष्ठ शेयरधारकों की समस्या निदान हेतु प्रचलित कानून अंतर्गत ही ठोस सुझाव

G Binani
Understanding Corporate Laws: Compliance Under IBC and SEBI, Importance of Governance, and Adapting to Evolving Regulations The article discusses the legal intricacies of corporate laws, focusing on the regulatory frameworks and compliance requirements under the Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) and the Securities and Exchange Board of India (SEBI). It highlights the importance of adhering to legal standards and the consequences of non-compliance, emphasizing the role of corporate governance in maintaining transparency and accountability. The text also covers the procedures related to mergers, acquisitions, and restructuring, underscoring the significance of due diligence and strategic planning in corporate transactions. Additionally, it touches upon the evolving nature of corporate regulations and the necessity for continuous adaptation by businesses. (AI Summary)
मेरे अनेक वरिष्ठ मित्र भौतिक शेयरों को लेकर काफी परेशान हैं हालाँकि सेबी ने निवेशकों के हितार्थ नियमों में कुछ संशोधन किये हैं लेकिन अभी भी जो अतिआवश्यक संशोधन चाहिये उसी पर समस्या को बताते हुये निदान हेतु कुछ सुझाव सुझा रहा हूँ । उन सभी वरिष्ठ मित्रों का यह मानना है कि मोदीजी हिन्दी में वार्तालाप ही नहीं करते बल्कि अपने सम्बोधन में भी हिन्दी भाषा को प्रमुखता देते हैं। इसके अलावा यह  सर्वविदित है  कि मोदीजी एक संवेदनशील व्यक्ति हैं और आम जनता को राहत प्रदान करने में वे हमेशा आगे रहते हैं ।उनकी बदौलत ही स्व-सत्यापित दस्तावेजों को सभी जगह स्वीकार किया जा रहा है। अतः अब उपरोक्त समस्या भी मोदीजी के ध्यान में लाये जाने की आवश्यकता है तभी हमें कुछ राहत मिल पायेगी।
 
उपरोक्त तथ्यों को ही आधार बना मित्रों ने मुझसे आग्रह किया कि सबसे पहले हम सब भौतिक शेयरों से सम्बन्धित पीड़ा को हिन्दी में विस्तार से वर्णित कर उन सुझाओं के साथ जो हमें राहत प्रदान कर सकते हैं, प्रकाशित हेतु भेजूं । इसके बाद हम सभी अपने अपने स्तर पर हिन्दी में व्यक्त की गयी पीड़ा को प्रधानमन्त्रीजी तक प्रेषित करने की चेष्टा करें। 
 
हम सभी केवल डीमेट के पक्ष में ही नहीं हैं बल्कि चाहते हैं कि सारे भौतिक शेयर डीमेट में परिवर्तित हो जाए। इसके लिये  भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी ) एवं  कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]   अधिकारियों से निवेदन है कि वे व्यवहारिक तथ्यों पर गौर ही नहीं अपितु निदान की ब्यवस्था करें अन्यथा वरिष्ठों की निवेशित पूँजी वो अपने आवश्यकता पडने पर जीवनकाल में कभी भी उपयोग कर नहीं पायेंगे ।
 
हमें पिछले हर समय पर हमारे राजनीतिक/आर्थिक/ स्टॉक एक्सचेंज विशेषज्ञों ने सब समय यही समझाया की शेयरों में निवेश न केवल अच्छा रिटर्न देगा बल्कि राष्ट्र निर्माण में मदद करेगा। उनकी सलाह को ध्यान में रख हम पिछले ५० /६० साल से शेयरों में निवेश कर रहे हैं यानि समय समय पर अपनी अपनी कमाई अनुसार टैक्स चुकाने के बाद जो भी बचत कर पाये उसे शेयरों में लगाया और कभी भी जमीन/सोना/ बैंक सावधि जमा की तरफ ध्यान ही नहीं दिया।
 
हम भविष्य को ध्यान में रखते हुए साथ ही साथ सुरक्षा उद्देश्य के मद्देनजर अपने जीवनसाथी, बेटे, बेटी (जैसा भी मामला हो) के अलावा किसी भी परिवार के सदस्य के साथ संयुक्त नामों में शेयरों को रखा।
 
इसलिये इस आलेख का एकमात्र उद्देश्य भौतिक शेयरों के हस्तांतरण [Transfer] प्रतिबंध में कुछ छूट की क्यों आवश्यकता है वाले तथ्य की सही स्थिति से अधिकारियों को अवगत  कराना है। और साथ में यह भी आग्रह रहेगा कि वरिष्ठों को संयुक्त धारक से एक बार ही हस्ताक्षर की आवश्यकता रहे इसलिये संयुक्त नामों में आपस में ही ट्रांसफर की सुविधा चालू रखी जाय ताकि वरिष्ठ अपने डीमेट एकाउंट की स्टाइल में उन्हें परिवर्तित कर डीमेट करवा सकें।
 
चूंकि  कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]   एवं  भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी )   दोनों ने भौतिक शेयरों के ट्रान्सफर पर पूर्णतया रोक  लगा रखी है जिसके चलते छोटे वरिष्ठ शेयरधारकों की समस्या बढ गयी । इसलिये सभी को यहाँ संक्षेप में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने का आग्रह है ।
 
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि असूचीबद्ध कंपनियों से संबंधित भौतिक शेयर भी हैं, जो  कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]   द्वारा निपटाए जा रहे हैं और आश्चर्यजनक रूप से छोटे वरिष्ठ नागरिकों  के पास भी ऐसे शेयर हैं जो उन्हें सार्वजनिक निर्गम के मार्फत मिले जो एक बार लिस्टेड होकर नियमों का फायदा उठा सूचीबद्धता से बाहर कर लिये गये और वे ही आज वरिष्ठों की समस्या का कारण है। इन सबके चलते आज भी अधिकांश वरिष्ठों के पास अच्छी खासी तादाद में भौतिक शेयर मिल जायेंगे।  
 
सभी वरिष्ठ छोटे शेयरधारक अपने शेयर डीमेट कराना चाहते हैं लेकिन वे ऐसा चाहकर भी अपनी अपनी समस्याओं के चलते नहीं कर पा रहे हैं । यदि  भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी )    व   कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]  उनकी समस्याओं पर ध्यान दे लेंगे तब डीमेट प्रक्रिया अवश्य ही गति पकड लेगी । 
अब पहले उनकी कुछ प्रमुख समस्याओं पर गौर कर लें - -
 
 
1) छोटे वरिष्ठ निवेशकों के पास हर समय स्थान परिवर्तन के कारण कम्पनियों के बारे में सही जानकारी का हमेशा ही अभाव रहा है -
 
          क]  जिनकी नौकरी ट्रान्सफर होती रहती है उनके शेयर  कहीं बच्चों के पास पड़े हैं तो कहीं गाँव वाले घर में पड़े हैं इन सबके चलते डाक अस्त ब्यस्त होती है जिसके चलते सही जानकारी मिल नहीं पाती| 
          ख]  उसके अलावा काफी कम्पनियाँ नाम बदल लिया तो कुछ दुसरे में मिल [merge ] गयीं|
          ग]  इसके अलावा शेयर  के मूल्य में बदलाव भी तकलीफ दे रहा है| 
          घ]  कम्पनियाँ के पते भी बदल गए या रजिस्ट्रार बदल गए|
          च]  बहुत सी कम्पनियाँ बिक भी गयीं तो कुछ प्राइवेट में परिवर्तित हो गयीं|       
          छ]  संयुक्त नाम वाले  बेटे / बेटी साथ में नहीं रहते  यानि सब अलग अलग हैं ।
 
2) पति-पत्नी के संयुक्त नाम में शेयर हैं। किसी भी कारणों से दोनों अलग अलग रह रहे हैं यानि तलाक भी नहीं लिया है और आपसी सारे रिश्ते स्थगित हैं ।
 
3) अपने पुत्र / पुत्री के साथ संयुक्त नाम से शेयर हैं और पुत्र / पुत्री पढ़ने विदेश गये सो लौट ही नहीं रहे हैं या शादी होने के बाद विदेश गये और वापस लौटना कब होगा अनिश्चित है।
 
4) पिता / माता की मृत्यु पश्चात बच्चों के संयुक्त नाम में शेयर पर उनके आपसी असहनशीलता के चलते समस्या हो रही है।
 
5) कुछ ऐसे शेयर भी हैं जिनको डीमेट करवायें तो DP जो चार्जेज लेगा वो उन शेयरोंं को बाजार भाव से ज्यादा बैठता है तब इस हालत में बेचने के समय नुकसान उठाना पडेगा। इसके अलावा  यदि निवेशित रकम को डीमेट चार्जेज से जोडे दें तो नुकसान ज्यादा हो जायेगा ।
 
6) ऐसी काफी कम्पनियाँ हैं जो शेयर बाजार अर्थात स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध  होकर  सूचीबद्ध हो गयी जिसके चलते छोटे वरिष्ठ शेयरधारक परेशानी झेल रहे हैं जिसका निवारण  कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]   को करना चाहिये अन्यथा छोटे वरिष्ठ शेयरधारक इस तरह की परेशानियों से ऊबर ही नहीं पायेंगे।
 
7) सूचीबद्ध [ Unlisted ] कम्पनियों के तो पते मिलना ही एक विकराल समस्या है उसके बाद यदि शेयर किसी भी कार्य वास्ते जमा दे दें तो संभवतः वापस आयेगा ही नहीं और कडे तगादे से वापस मिल भी जाय तो आधा अधुरा ही काम किया परिलक्षित होगा। 
 
8) ऐसी अनेकों कंपनियां हैं जिन्होंने सेबी के कड़े निर्देश के बाद डीमैट प्रक्रिया शुरू की यानी इससे पहले उनके शेयर डीमैट प्लेटफॉर्म पर थे ही नहीं ।अर्थात अनेकों कम्पनियों ने अब जाकर यानि कुछ समय पहले ही ISIN No.प्राप्त किये हैं और डीमेट प्रोसेस शुरू किया है।
 
9) अनेक कम्पनी एक ही डिपॉजिटोरी  से सम्बन्धित है जिसका मतलब यदि डीमेट अकाउंट उसी  डिपॉजिटोरी से सम्बन्धित  है तब तो ठीक अन्यथा डीमेट सम्भव नहीं हो पाता है ।
 
ऊपर उल्लेखित कारणों के चलते  शेयर बाजार में निवेश करने वाले लाखों निवेशकों के पास अभी भी भौतिक रूप [ फिजिकल फॉर्म ] में ही कंपनियों के शेयर पड़े हैं।  समाचार पत्रों [ समय समय पर जो पढने मिला  ]  अनुसार इस समय देश में करीब 2.70  लाख करोड़ रुपये के शेयर भौतिक रूप  में हैं| इसलिये सरकार को पहले  बुनियादी समस्याओं को हल करना चाहिये  अन्यथा कड़ी मेहनत से किया गया निवेश शून्य में परिवर्तित हो जायेगा जिसके चलते  ईमानदार छोटे वरिष्ठ शेयर निवेशक इसको अपने प्रति विश्वासघात के रूप में लेंगे।

 
समस्याओं के निदान हेतु कुछ सुझाव ---

 A] पहले नाम यानि जिसका नाम प्रथम हो उसे  संयुक्त नामों में रखे गए भौतिक शेयरों को अपने नाम में डीमैट की अनुमति दी जाय भले ही उसके लिये किसी भी प्रकार का फॉर्म भरवा लिया जाय या सादे कागज पर ऐफिडेविट ले लें।

 B]  कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]  के साथ ही भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी )  के वेब में सभी कम्पनियों का नाम होना चाहिए यानि जिस नाम से सबसे पहले कम्पनी सूचीबद्ध हुयी  उसी से शुरू हो | फिर उसमेंं हर  प्रकार के बदलाब का  भी पूरा पूरा  उल्लेख हो ताकि निवेशक को बिना ज्यादा दिक्कत के जिस तरह भी ढूंढे उसे सही जानकारी मिल जाय |

 C] जो शेयर खो गये हैं उसके लिये प्रक्रिया में ढील दी जाय यानि

        अ)  ऐफिडेविट  प्रक्रिया सादे कागज पर मान्य कर दी जाय जबकि इन्डेमनिटी किसी भी मूल्य के उपलब्ध स्टाम्प पेपर पर । सभी का यह मानना है कि 10/- के स्टाम्प पेपर पर वाले  की मान्यता / बाध्यता उतनी  ही  होती है जितनी की 500/- वाले स्टाम्प पेपर पर किये गये की ।

        ब) प्रथम सूचना रिपोर्ट  की आवश्यकता हटा दी जाय यानि सम्बंधित थाने में रजिस्ट्री से सूचना भेजी उसकी स्वहस्ताक्षरित कापी के साथ रजिस्ट्री की रसीद लेलें।

        स) विज्ञापन करने का दायित्व व खर्चा कम्पनीयों पर ही होना चाहिये यानि कम्पनीयाँ चाहें तो  नज़रअंदाज़  भी कर सकें और इस तरह के शेयर भौतिक रूप में जारी  ही न किये जाँय बल्कि एक म्यूचूअल फंड की  तरह होल्डिंग पत्र जारी कर दे । और होल्डिंग पत्र के अन्त में डीमेट में जमा देने हेतु कॉलम हो जिसे आवश्यकता पड़ने पर [कालान्तर में]  हस्ताक्षर कर डीमेट करवाया जा सके।

 
 द] वरिष्ठों के हस्ताक्षर वाली समस्या का निदान कुछ हद तक किया गया है लेकिन अभी भी स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करने की आवश्यकता है  क्योंकि लम्बा समय बाद ढलती उम्र में हस्ताक्षर में फर्क आयेगा ही लेकिन हर हालात में शैली, ढ़ंग, प्रवाह और भाषा तो मिलेगी ही।
 
ई] छोटे वरिष्ठ शेयरधारकों को अपने संयुक्त धारक से एक बार हस्ताक्षर लेना पडे यानि बार बार हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं पडे ताकि वह आसानी से डीमेट प्रक्रिया पूरी कर सके। आवश्यक हो तो इस प्रक्रिया के लिये एक उचित फॉर्मेट तैयार कर सभी को मानने के लिए आदेशात्मक सूचना जारी कर दे।
 
D] बहुत से शेयर केवल सी डी एस एल पर ही डीमेट हो सकते हैं।उसी प्रकार कुछ ऐसे भी शेयर होते हैं जो केवल एन एस डी एल पर ही डीमेट हो सकते हैं ।
 
आवश्यक डीमेट के चलते सभी शेयर निवेशकों का  किसी एक डिपाजिटरी में तो खाता होना अनिवार्य है जो होता भी है। इसलिये छोटे कम मुल्य वाले शेयरों को डीमेट करवाने में अतिरिक्त सालाना खर्चे के चलते डीमेट करवाना बुद्धिमत्ता नहीं ।
 
हालांकि सेबी ने एक बेसिक सर्विसेज डीमेट खाता की सुविधा चालू कर रखी है लेकिन उदाहरण के तौर पर यदि किसी का एन एस डी एल में डीमेट खाता है तब सी डी एस एल में बेसिक सर्विसेज डीमेट खाता खुल नहीं सकता।यह  नियम भी छोटे कम मुल्य वाले शेयरों को डीमेट करवाने में बाधक है।
 
इस नियम में भी संशोधन अतिआवश्यक है ताकि एन एस डी एल में डीमेट खाता है तो भी सी डी एस एल में बेसिक सर्विसेज डीमेट खाता खुल जाय अथवा जैसा ऊपर उल्लेख किया गया है  निवेशकों को भौतिक शेयरों के बदले एक म्यूचूअल फंड की  तरह होल्डिंग पत्र जारी कर दे अर्थात जब भी निवेशक चाहे उस होल्डिंग पत्र पर हस्ताक्षर कर डीमेट करवा ले। इसी तरह पता संशोधन हो, बैंक खाता संशोधन या नामांकित [ नॉमिनी ] बदलना हो तो उस होल्डिंग पत्र पर हस्ताक्षर कर नया संशोधित होल्डिंग पत्र जारी हो जाय ताकि बाजार से भौतिक शेयरों का सफाया सुगमता से होता रहे । 
 
सरकार/ सेबी/ स्टॉक एक्सचेंज उपरोक्त उल्लेखित  सभी प्रकार की समस्याओं को दूर कर सकते हैं जैसे अभी दो तीन  साल पहले ही इन्कमटैक्स विभाग ने रिटर्न में सूचीबद्ध कम्पनियों का पैन [ PAN ] नंबर के साथ सूची की अनिवार्यता की लेकिन जब उन्हे यह बताया / समझाया  गया कि वाणीज्यिक विभाग के साइट पर भी यह उपलब्ध नहीं है तब इसमें छूट दे राहत प्रदान की।  
 
कृपया ध्यान रखें  छोटे वरिष्ठ शेयरधारकों के पास सभी नियमोंं का पालन करने के लिए इतनी ऊर्जा नहीं है और हर कदम पर खर्चों के अलावा बार-बार यात्रा की आवश्यकता होती है [कृपया ध्यान दें कि जो लोग प्राइवेट फर्मों से सेवानिवृत्त हुए हैं उनको पेंशन नहीं है इसलिए उनके पास आय का बहुत कम स्रोत है]|
 
इसी तरह और भी समस्यायें हैं उदाहरणार्थ किसी कारण से सात साल यदि डिवीडेंड का या तो पता नहीं चला या 
डिवीडेंड जमा  नहीं कराया तो 
डिवीडेंड रकम के साथ साथ भौतिक शेयर भी सेबी [ विनिधानकर्ता (निवेशक) संरक्षण और शिक्षण निधि  [ IEPF ]  में सरकार के खाते में जमा हो जाता है भले ही आपके अपने नाम वाले शेयर भौतिक अवस्था में आपके पास रखे हों।
 
सेबी विनिधानकर्ता (निवेशक) संरक्षण और शिक्षण निधि [ IEPF ]से क्लेम प्रक्रिया को सरल बनाया जाना अतिआवश्यक है अन्यथा छोटे वरिष्ठ निवेशक तो आज वाली जटिल प्रक्रिया पूरो कर ही नहीं पाते हैं। 
 
याद रखें हर समस्या का प्रयासरत रहने से हल निकलता ही है और जब भी समस्या हल होगी वरिष्ठ छोटे निवेशक उसे डीमेट उद्देश्य हेतु कम्पनी के पास आयेंगे तब कम्पनी उस पर उचित कार्यवाही कर उसका डीमेट खाते में सीधे क्रेडिट दे देगी। लेकिन इसके लिए  भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी ) एवं  कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]   दोनों ही यदि डीमेट की जिम्मेदारी कम्पनियों पर डाल दें अर्थात जो भी शेयर ट्रान्सफर / ट्रान्समिशन / ट्रान्सपोजिसन के लिये आये तो उन पर कार्यवाही पश्चात डीमेट खाते में ही क्रेडिट दिया जाय तो निश्चित ही बहुत कम समय में काफी संख्या में भौतिक शेयरों से मुक्ती मिल जायेगी या फिर उपरोक्त वर्णित सुझाव अनुसार  निवेशकों को भौतिक शेयरों के बदले एक म्यूचूअल फंड की  तरह होल्डिंग पत्र जारी कर दे अथवा डीमेट  में परिवर्तन हेतु नियेमों में कुछ उचित रियायत दे तो डीमेट प्रक्रिया अवश्य ही गति पकड लेगी ।     
 
सभी 
सम्बन्धित अधिकारियों  को यह समझना चाहिये कि छोटे वरिष्ठ निवेशक डीमेट कराने की चाहत रखते हुए भी लाचार हैं और समस्याओं का उचित समाधान ही सम्पूर्ण लक्ष्य प्राप्त करवा देगा  और इसी उद्देश्य के लिये मैंने ऐसा तरीका सुझाया है जिससे कम समय में ही लक्ष्य प्राप्त कर पायेंगे क्योंकि जो भी भौतिक शेयर कम्पनी के पास आयेगा उसे लौटाना तो है ही नहीं  
बल्कि एक म्यूचूअल फंड की  तरह होल्डिंग पत्र जारी कर देना है । और होल्डिंग पत्र के अन्त में डीमेट में जमा देने हेतु कॉलम हो जिसे कालान्तर में हस्ताक्षर कर डीमेट करवाया जा सके।
 
उपरोक्त वर्णित सभी बिदुओं की ठीक तरीके से विवेचना की आवश्यकता है इस पर सभी अधिकारियों को गहन चिंतन अवश्य करना चाहिये, ऐसा मेरा मानना है।
 
आशा है कि सरकार उपरोक्त सभी तथ्यों की बारीकी से विवेचना कर सही कदम उठा छोटे वरिष्ठ शेयरधारकों के हितों की रक्षा में अपना योगदान अवश्य देगी ।
मैंने कई साधनों के द्वारा (जैसे- ईमेल, ट्वीटर इत्यादि )अपनी बात  भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी )   एवं MCA को पहुँँचाने का प्रयास किया है।
 
जैसा ऊपर भी उल्लेख किया गया है अर्थात हम सबका दृढ़ विश्वास है मोदीजी एक संवेदनशील व्यक्ति हैं और आम जनता को राहत प्रदान करने में वे हमेशा आगे रहते हैं ।जिसका ज्वलंत उदाहरण है स्व-सत्यापित दस्तावेजों को सभी जगह स्वीकारा जाता जो केवल मात्र उनकी बदौलत ही सम्भव हुआ है। इसी कारण से उपरोक्त समस्या भी मोदीजी के ध्यान में लाए जाने कि आवश्यकता महसूस हो रही है।  
 
अतः अब मैं आप सभी प्रबुद्ध  पाठकों से आग्रह करता हूँ कि यदि आप मेरे से सहमत हो तो इस संदर्भ में अपने विचारों को किसी भी ठोस माध्यम से मोदीजी तक पहूँचायेंं ताकि साधारण आम छोटे वरिष्ठ शेयरधारकों  को राहत मिल जाय।उनके दखल से  सुधार  निश्चित तौर पर होगा क्योंकि वे विवेकशील राजनेता हैं । 
 
 
गोवर्धन दास बिन्नाणी 'राजा  बाबू'
IV E 508, जय नारायण व्यास कॉलोनी,
बीकानेर
7976870397 / 9829129011(W)
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